आवारा हूँ, आवारा हूँ
या गर्दिश में हूँ, आसमान का तारा हूँ
घरबार नहीं, संसार नहीं, मुझ से किसी को प्यार नही
उस पार किसी से मिलने का इकरार नही
सुनसान नगर, अन्जान डगर का प्यारा हूँ
आबाद नहीं बरबाद सही, गाता हूँ खुशी के गीत मगर
ज़ख़्मों से भरा सीना है मेरा, हसती है मगर ये मस्त नज़र
दुनिया, दुनिया मैं तेरे तीर का या तकदीर का मारा हूँ