Year 1988. I was watching Chitrahaar on Doordarshan. I watched for the first time the video clip of this song from film Parinay – an experience I still remember and enjoy till today. After many years, I heard the song again on Music India Online today – truly humbling…
जैसे सूरज की गर्मी से जल्ते हुए तन को
मिल जाये तरुवर कि छाया
सूरज की गर्मी से जल्ते हुए तन को
मिल जाये तरुवर कि छाया
ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है
मैं जब से शरण तेरी आया, मेरे राम
सूरज की गर्मी से जल्ते हुए तन को
मिल जाये तरुवर कि छाया
भटका हुआ मेरा मन था कोई
मिल ना रहा था सहारा
भटका हुआ मेरा मन था कोई
मिल ना रहा था सहारा
लहरों से लडती हुई नाव को जैसे
लहरों से लडती हुई नाव को जैसे
मिल ना रहा हो किनारा
मिल ना रहा हो किनारा
उस लडखडाति हुई नाव को जो
किसी ने किनारा दिखाया
ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है
मैं जब से शरण तेरी आया, मेरे राम
सूरज की गर्मी से जल्ते हुए तन को
मिल जाये तरुवर कि छाया
शीतल बनी आग चंदन के जैसी
राघव क्रुपा हो जो तेरी
शीतल बनी आग चंदन के जैसी
राघव क्रुपा हो जो तेरी
उजियालि पूनम की हो जायें रातें,
जो थी अमावस अन्धेरी
उजियालि पूनम की हो जायें रातें,
जो थी अमावस अन्धेरी
जो थी अमावस अन्धेरी
युग युग से प्यासी मरुभूमि ने जैसे
सावन का संदेश पाया
ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है
मैं जब से शरण तेरी आया, मेरे राम
सूरज की गर्मी से जल्ते हुए तन को
मिल जाये तरुवर कि छाया
जिस राह की मंज़िल तेरा मिलन हो
ऊस पर कदम मैं बडांऊ,
जिस राह की मंज़िल तेरा मिलन हो
ऊस पर कदम मैं बडांऊ,
फूलों मे खारों मे पतझड बहारों मे
मैं ना कभी डगमगांऊ,
फूलों मे खारोन् मे पतझड बहारों मे
मैं ना कभी डगमगांऊ,
मैं ना कभी डगमगांऊ,
पानी के प्यासे को तकदीर ने जैसे
जी भर के अम्रुट पिलाया
पानि के प्यासे को तकदीर ने जैसे
जी भर के अम्रुट पिलाया
ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है
मैं जब से शरण तेरी आया, मेरे राम
सूरज की गर्मी से जल्ते हुए तन को
मिल जाये तरुवर कि छाया
ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है
मैं जब से शरण तेरी आया, मेरे राम
सूरज की गर्मी से जल्ते हुए तन को
मिल जाये तरुवर कि छाया